भगवान के प्रति

जब कोई नहीं होता जग में
 तब तू ही मेरा साथ है 
उठते गिरते सागर गर्त में 
बस तू ही एक आधार है
 जब कोई नहीं होता जग में
 तब तू ही मेरा साथ है।
 चोट पड़े जब कोमल ह्रदय पर
 ओला ढूंढने पाता हूं ।
सूखते पीले इन नैनो में 
बस तू अश्रु का आधार है।
जब कोई नहीं होता जग में
तब तू ही मेरा साथ है।
बात रुलाती है मुझको 
जब अच्छा काम करता हूं।
 परिणाम बुरा आने पर मैं
 ढांढस पीता रहता हूं।
 मुझे आपको कहने में यह
 मेरा श्रम बेकार है।
 जब कोई नहीं होता जग में 
तब तू ही मेरा साथ है।
 हे प्रभु तुम गैर न समझो
 हम भी तेरे लाल हैं।
 इस अनोखी दुनिया में
 हम दिखते लाचार हैं।
 जब कोई नहीं होता जग में 
तब तू ही मेरे साथ है।
 उठते गिरते सागर गर्त में 
बस तू ही एक आधार है।
                                  नवेन्दु नवीन
                  (यह कविता 25 मई 200 4 को लिखी गई है।)

Comments

Popular Posts