डॉ.रामविलास बाबू के चंद छंद.
गुरुदेव डॉ.रामविलास बाबू के चंद छंद.
प्रो.डॉ.रामविलास. |
रह-रहकर वह मांगे छाता.
भींगे को बाहर लटकाता.
सोखे पानी पोखर कूप.
क्यों सखि साजन ना सखि धूप......३७
जो दोगे ले साथ चलेगा.
किसी हाल में नहीं छलेगा.
अक्सर उसका रंग मटमैला.
क्यों सखि साजन ?
ना सखि थैला...............................३८
लेकर चला छोटा भार.
दौरा उसका घर बाज़ार
कभी न अपनी ख़ातिर बोला.
क्यों सखि साजन?
ना सखि झोला................३८
बहुत बढ़ा है उसका मान
वह है नेता की पहचान.
चमचों से है मैली दाढ़ी.
क्यों सखि साजन?
ना सखि दाढ़ी........................५६
उसपर घर का सारा भार.
रहे अकेला बिन हथियार.
हद से ज्यादा हिम्मत वाला.
क्यों सखि साजन?
ना सखि वाला...............................५७
जगह न लेता,भार न ढोता.
हँसता रहता कभी न रोता.
वजन महल का करता दूना.
क्यों सखि साजन?
ना अभी दूना..............................५८
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