प्रदूषणमुक्त दीपावली मनाने पर विचार।
प्रदूषणमुक्त दीपावली मनाने पर विचार।
आस्था फाउंडेशन(ए.एफ़) के तत्वावधान में उसके कार्यालय परिसर में मासिक विचारगोष्ठी सह कविगोष्ठि का आयोजन किया गया।विचारगोष्ठी का मुख्य विषय प्रदूषणमुक्त दीपावली मनाने केलिए परंपरागत विधि का उपयोग था।आयोजक सह ट्रस्ट के संस्थापक सचिव नवेन्दु नवीन ने बुजुर्गों से अपील की कि वे अपने बचपन के दीपावली को बच्चों के बीच रखें एवं उन्हें आतिशबाजी करने से बचाए।
वयोवृद्ध समाजसेवी सुखदेव प्रसाद ने कहा कि वे लोग पटाखे के बदले ढ़ोल, मजीरा एवं डंफ जैसे परंपरागत वाद्य यंत्रों का प्रयोग करते थे। साथ ही कपूर एवं अन्य वनस्पतियों से निर्मित मशाल से मनोरंजन करते थे।
कवि शम्भू प्रसाद गुप्ता ने प्रदूषणमुक्त दीपावली मनाने केलिए सरसों, तिल या अरंडी के तेल के उपयोग पर बल दिया।
कार्यक्रम की दूसरी पाली में कविगोष्ठि हुई, जिसकी अध्यक्षता हास्य कवि वैकुंठ ठाकुर एवं मंच संचालन आचार्य कवि प्रमोद झा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आयोजक सह ट्रस्ट के संस्थापक सचिव नवेन्दु नवीन ने किया। मौके पर कवि परमेश्वर पटवारी, कवि कमलेश शर्मा पीयूष, शम्भू प्रसाद गुप्ता, कमलेश कुमार कनक, जयलाल महतो इत्यादि ने कई गणमान्य लोग मौजूद थे एवं अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की।
आस्था फाउंडेशन(ए.एफ़) के तत्वावधान में उसके कार्यालय परिसर में मासिक विचारगोष्ठी सह कविगोष्ठि का आयोजन किया गया।विचारगोष्ठी का मुख्य विषय प्रदूषणमुक्त दीपावली मनाने केलिए परंपरागत विधि का उपयोग था।आयोजक सह ट्रस्ट के संस्थापक सचिव नवेन्दु नवीन ने बुजुर्गों से अपील की कि वे अपने बचपन के दीपावली को बच्चों के बीच रखें एवं उन्हें आतिशबाजी करने से बचाए।
वयोवृद्ध समाजसेवी सुखदेव प्रसाद ने कहा कि वे लोग पटाखे के बदले ढ़ोल, मजीरा एवं डंफ जैसे परंपरागत वाद्य यंत्रों का प्रयोग करते थे। साथ ही कपूर एवं अन्य वनस्पतियों से निर्मित मशाल से मनोरंजन करते थे।
कवि शम्भू प्रसाद गुप्ता ने प्रदूषणमुक्त दीपावली मनाने केलिए सरसों, तिल या अरंडी के तेल के उपयोग पर बल दिया।
कार्यक्रम की दूसरी पाली में कविगोष्ठि हुई, जिसकी अध्यक्षता हास्य कवि वैकुंठ ठाकुर एवं मंच संचालन आचार्य कवि प्रमोद झा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आयोजक सह ट्रस्ट के संस्थापक सचिव नवेन्दु नवीन ने किया। मौके पर कवि परमेश्वर पटवारी, कवि कमलेश शर्मा पीयूष, शम्भू प्रसाद गुप्ता, कमलेश कुमार कनक, जयलाल महतो इत्यादि ने कई गणमान्य लोग मौजूद थे एवं अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की।
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