यादों में प्रो. जयमंगल दास


इस बार 2 अक्टूबर अर्थात गांधी जयंती के शुभ अवसर पर मैं कुछ ज्यादा ही व्यस्त था. मैं अन्य वर्षो की भांति इस बार इस कार्यक्रम के दिन न हीं कोई गोष्ठी आयोजित कर सका और न हीं किसी आयोजन में शामिल हो सका. मन तो थोड़ा उदास था ; परंतु जब मैं अन्य दिनों की भांति आज भी (३ अक्टोबर) फेसबुक उलट कर देखा तो उसमें 2 साल पहले की याद फेसबुक की टीम ने तरोताजा की. 2 अक्टूबर 2016 को मैं गांधी जयंती अपने पड़ोस के ही एक गांव में अपने गुरुदेव, प्रोफ़ेसर जय मंगल दास जी के साथ मनाया, जो आज इस दुनिया में नहीं हैं. मैं जब इस फेसबुक के शेयर वाले वाल को देखा, तो भाव विह्वल हो उठा. साथ ही अंदर से ऊर्जा भी महसूस किया, और ऐसा लगा कि मैंने बहुत पलों को यूं ही नहीं बर्बाद किया है, बल्कि उचित वक्त पर उचित तरीके से समय का सदुपयोग किया है.  2 अक्टूबर 2016 को भी मैं व्यस्त था. फिर भी इन व्यस्ततम पलों में भी मैं कुछ कार्यक्रम या गोष्ठियाँ आयोजित कर लिया करता था. 

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मुझे बचपन का वह दिन याद आया, जब मैं गांव के सरकारी विद्यालय में चौथी या पांचवीं जमात में पढ़ा करता था. उस विद्यालय में मेरे एक अन्य गुरुदेव स्वर्गीय रामेश्वर प्रसाद गुप्त "मधुरापुरी" जी एक कुशल व योग्य शिक्षक हुआ करते थे. विभिन्न जयंतियों को मनाने की शिक्षा भी  उन्हीं से मैंने सिखा.
     स्वर्गीय प्रोफेसर जयमंगल दास जी उनके काफी घनिष्ठ मित्र थे. स्वाभाविक रूप से वे दोनों एक दूसरे के बगैर नहीं रह पाते थे. अतः विद्यालय अथवा घर जहां कहीं भी वह कोई कार्यक्रम आयोजित किया करते थे तो गुरुदेव दास जी को आमंत्रित अवश्य करते थे. सभी बच्चे अपनी  रटी-रटाई चंद वाक्यों को भाषण के रूप में मंच पर प्रस्तुत करते थे. उसी में से मैं भी एक था. भाषण के क्रम में सभी महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्री जी को भी याद करते थे एवं उका सादर नमन करते थे. जब गुरुदेव प्रो.जयमंगल दास जी की बारी आई तब उन्होंने भाषण के क्रम में यह कहा कि मैं अपनी जिंदगी को लेकर सौभाग्यशाली तो नहीं हूं क्योंकि आर्थिक किल्लत होने के कारण जिंदगी में ढेर सारी चुनौतियों का सामना मुझे करना पडता है. फिर भी आप लोगों के दुआओं एवं प्यार के बल पर  अपना खुशहाल जिंदगी जी पाने में सफ़ल हूँ. उन्होंने कहा कि कभी-कभी एक बात की खुशी मुझे होती है कि मेरा भी जन्म इसी 2 अक्टूबर को हुआ था. अतः इस मामले में मैं खुशनसीब हूँ कि  मुझे अपना जन्म दिवस मनाने के लिए बहुत ज्यादा सोचना नहीं पड़ता है. और इसी चंद व्यंग्यों के साथ-साथ वे छात्र जीवन के लिए जिंदगी जीने के लिए बहुत सारे संदेश हमलोगों को देते गए.
    अतः यादों के बीच गुजरा 2 अक्टूबर का खुशनुमा आज से ठीक 2 साल पहले, मुरादपुर गांव के एक्सीलेंट अकैडमी संस्थान में अपने गुरुदेव (प्रो.जयमंगल दास) के साथ गांधी जयंती एवं गुरुदेव की जयंती के आयोजन में शामिल होने का मौका मिला. चुकी संस्थान के निदेशक कमलेश शर्मा  पियूष जी भी गुरुदेव के ही शिष्य रहे हैं. उन्होंने उस उचित अवसर पर अपने यहां ही जयंती का कार्यक्रम रखा और गुरुदेव को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया. मेरे साथ  शंभू प्रसाद गुप्ता जी, प्रमोद झा जी, श्री कमलेश कुमार कनक जी,  प्रोफ़ेसर जय मंगल दास  श्याम बाबू जी  शशि भूषण जी इत्यादि कई गणमान्य लोग सभा में मौजूद थे । जैसे ही मैं  इस यादगार पल को फेसबुक पर देखा वैसे ही  मैंने मन ही मन अपने गुरुदेव को याद किया और उनका शरीर न रहते हुए भी उनके पूरे शरीर को अपने दिव्य दृष्टि से देखा. अंततः मैं अपने याद के  इस पल को अपने शब्दों में पिरोकर आप लोगों के बीच रखने का मन बनाया और आप लोगों के बीच अपनी यादों को साझा करके अपने मन को हल्का किया। मैं आशा करता हूं कि गुरुदेव का आशीर्वाद हम सब पर सदा के लिए बना रहे। साथ ही फेसबुक टीम को भी बधाई देना चाहूंगा कि उन्होंने हमारे याद संजोगकर रखा और मन को कुंठित होने से बचाया।

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