डायबिटीज है तो घबराएँ नहीं....... अपना इलाज अपने पास।
मेरी नज़र में मेरे लिए एक और बेनाम वनस्पति,जो मधुमेह के रोगियों केलिए वरदान ही है.हो सके तो आपके परिवेश में भी सहज उपलब्ध हो.
यह मेरे घर के दरवाज़े एवं गाँव में बिखरे पड़े हैं।
सोसल मीडिया के मेरे एक मित्र ने मेरे पूर्व के आलेख को पढ़कर उसके उपयोग के बाड़े में पूछा था.परन्तु उसकी मुझे कोई प्रायोगिक जानकारी नहीं थी,इसीलिए मैंने उनको स्पष्ट जानकारी नहीं दी. हाँ अभी मैं जिसकी चर्चा कर रहा हूँ, उसके उपयोग के विषय में बतला सकता हूँ. मधुमेह रोगी सुबह-सुबह इसके तीन चार पत्ते को भोजन करने से पहले लेते हैं.
इसप्रकार प्राकृति वनस्पतियों की कमी नहीं है हमारे परिवेश में. मुझे याद है कि बचपन में जब मुझे कट-फट जाता था तो मेरी दादी रक्त स्राव को बंद करने केलिए भंगरैया या कुचा घास जैसी वनस्पति,या गेंदा के पत्ते का रस,या फिर बैंगन के पत्ते का रस कटे हुए स्थान पर दाल देती थी,इससे रक्त स्राव में काफी राहत मिलाता था. विडम्बना की बात तो यह है कि अभी के लोग जरूरी परने पर इसके उपयोग से वंचित रह जाते हैं. क्योंकि हमारे समाज में अंग्रेजी दवाओं का प्रयोग एक फैशन हो गया है.साथ ही इसकी जानकारियाँ भी लोगों को कमती जा रही है.
परन्तु आलेख के अंत में मैं यह कहना चाहूँगा कि इन सनासाधनों का वाणिज्यिक एवं व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल होना चाहिए साथ है.
Good
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