ऐतिहासिक कुशवाहा समाज के विकास केलिए कुछ सुझाव.

     कुशवाहा समाज के विकास के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव 

मेरा मानना है कि कुशवाहा समाज भारत में एक ऐतिहासिक समाज रहा है, पर आज हरेक दृष्टिकोण से यह उपेक्षा का शिकार बन चूका है.  चाहे वह राजनीति क्षेत्र हो या सामाजिक या फिर आर्थिक क्षेत्र प्रत्येक जगहों पर कुशवाहा समाज का समुचित विकास नहीं हुआ  है. इसका सबसे बड़ा कारण कुशवाहा समाज में चिंतन शक्ति का अभाव है. समाज के मुख्य धारा में आने केलिए वे कभी भी वास्तविक प्रयास नहीं करते हैं. यही कारण है कि हमारा समाज तरक्की की राह से बहुत हद तक वंचित है. अधिकांश लोगों की मनासिकता केवल खुद एवं अपने परिवार के भरण-पोषण से है,परन्तु समाज के विकास केलिए सही सोच कुछ ही लोगों के पास है. 
सुपौल में आयोजित कुशवाहा समाज के बैठक का एक दृश्य.
एक सबसे बड़ी खामी अपने समाज में मैं यह देखता हूं कि जब कोई कुशवाहा जाति के लोग आगे बढ़ जाते हैं तो अपने से नीचे वाले को हमेशा ही हीन दृष्टि से देखते हैं. वे कभी नहीं सोचते हैं कि उन से नीचे वाला तभी आगे नहीं बढ़े,क्योंकि उनके स्थानीय समाज में उनकी विशिष्ट पहचान नहीं बन पाएगी. शायद ऐसी भावना हरेक जाति समाज के लोगों में भी है.कुशवाहा समाज के लोगों को यह स्मरण करना चाहिए कि विशाल मगध साम्राज्य,जिसके प्रनेतागन मौर्य साम्राज्य से हुआ करते थे,वे कुशवाहा समाज से ही थे.साथ ही राजस्थान का ऐतिहासिक कछवाहा राजवंश कुशवाहा समाज का ही पर्याय है.
                                   कुशवाहा समाज के विकास के लिए मेरे द्वारा तैयार की गई कुछ रणनीतियाँ
कुशवाहा समाज के लिए एक पंजीकृत संघ की स्थापना हो:
कुशवाहा समाज के विकास के लिए एक संघ की स्थापना होनी चाहिए जिसका उद्देश्य इस समाज को सामाजिक आर्थिक एवं राजनैतिक रूप से सबल बनाने का प्रयास करें. बहुत सारे संघ अभी भी कार्यरत हैं लेकिन वो चंद लोगों  के  स्वार्थ में संलिप्त एक राजनीतिक संस्था बन कर रह गई है.  परंतु वास्तविक रूप से कुशवाहा समाज के विकास से उनका कोई लेना-देना नहीं है.  अतः इस संघ में हम जितने कुशवाहा लोग शामिल हो उनको निष्पक्ष भाव से अपने समाज के लिए कुछ समर्पण करने के लिए संकल्प लेना पड़ेगा.
एक कुशवाहा कोष की स्थापना हो :
इस कोष की स्थापना से समय-समय पर कुशवाहा समाज के जरूरतमंद लोगों को आर्थिक मदद देने की कोशिश की जाएगी. इससे उनका सामाजिक उत्थान भी हो सकता है.  यदि हम सभी कुशवाहा समाज के लोग सालाना या मासिक चंदा एकत्रित कर एक कोष में जमा करके कुशवाहा समाज के उत्थान के लिए यदि कोई काम करें तो इससे समाज आगे बढ़ेगा. इससे  कुशवाहा समाज की ओर से अन्य समुदाय के लोगों के लिए भी कुछ काम किया जा सकता है; जैसे मारवाड़ी समाज के सहयोग से कई अस्पताल की स्थापना की गई जिसे समाज के हर वर्ग के लोग प्रभावित हो रहे हैं,ठीक उसी तरह से इस तरह का प्रयास कुशवाहा समाज की और से भी किया जाता.
कुशवाहा संघ की स्थापना राजनीतिक विचारधारा से परे हो:
हम चाहते हैं कि हमारा संग इस प्रकार का हो जिसकी  व्यवस्था पूरी तरह से लोकतांत्रिक हो. साथ ही  समाज को हरेक दिन एक नया संदेश देने का काम करें. जैसे यदि इसके कोष  के माध्यम से समाज का कल्याण किया जाए तो कोशिश होनी चाहिए कि इससे अन्य समाज के लोग भी प्रभावित हों:  जैसे समय-समय पर स्वच्छता अभियान,  छठ पूजा के अवसर पर घाटों की सफाई, निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन, बाढ़ एवं भुखमरी की समस्या जब आए तो उनके लिए एक राहत कोष की स्थापना, इत्यादि.
कुशवाहा फंड से पुस्ताकालय अथवा वाचानालय की स्थापना:
हरेक जिले में कम से कम 2-3 पुस्तकालय या वाचानालय की स्थापना करना या संभव हो तो प्रत्येक पंचायत में इसकी व्यवस्था करना समाज को एक अलग पहचान दिलाएगा. इस छात्रों एवं अभिभावकों केलिए नियमित रूप से समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं की व्यवस्था की जाए.  इसके लिए वहाँ के कुशवाहा समाज के लोगों से बातचीत करके एक केंद्र की स्थापना की जाएगी, जहां कुछ कुर्सियां कुछ बेंच एवं टेबल की व्यवस्था हो सके. इसके लिए संघ उन्हें आर्थिक मदद देने का काम करेगी एवं वहां की स्थानीय लोगों को ही अध्यक्ष व सचिव मनोनीत किया जाएगा. उन्हें प्रत्येक महीने  2 समाचार पत्र एवं कुछ पत्रिकाओं के लिए उचित राशि उपलब्ध कराई जाएगी.
महिला सशक्तिकरण पर ध्यान देने की जरूरत है :
महिला सशक्तिकरण पर ध्यान देकर हम अपने समाज को काफी ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं. हमारा यह प्रयास होना चाहिए की कुशवाहा समाज की जितनी भी महिलाएं हो वह बेकार पड़ी नहीं रहे. हम लोग  कोष की स्थापना ही इस रूप में करेंगे ताकि उस राशि एवं प्रयास से कुशवाहा समाज का सर्वांगीण विकास किया जा सके. शादी के पहले जो महिलाएं नहीं पढ़ी है, उन्हें विवाह के बाद पढाने  का प्रयास किया जाएगा. साथ ही उन को स्वावलंबी बनाने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी. यदि संभव हो तो कुटीर उद्योगों की स्थापना करके उन्हें आर्थिक रूप से सबल बनाया जा सकता है. ऐसे औद्योगिक संस्थानों में ये महिलाएं  पार्ट टाइम समय लगाकर आर्थिक रूप से निर्भर बन सकती है. जैसे:  पापड़ उद्योग, चिप्स उद्योग, कढ़ाई-बुनाई  इत्यादि का काम कर सकती है. साथ ही संघ में शामिल जो भी बुद्धिजीवि लोग होंगे वे उनके द्वारा तैयार किए गए माल के लिए बाजार की व्यवस्था करेंगे अतः इस योजना को कुशवाहा स्वावलंबन योजना का नाम दिया जा सकता है.
   महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रयास यह भी किया जा सकता है की शादी के बाद बहुत सारी लड़कियों का पढ़ाई बीच में ही छूट जाता है. तो हम लोग वैसी महिलाओं एवं परिवारों को चिन्हित करने की कोशिश करेंगे जिनके साथ ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई.  है और उनकी पढ़ाई जारी रहे इसके लिए प्रयास करना है. हम नहीं चाहते हैं कि कुशवाहा समाज की भागीदारी केबल सरकारी नौकरियों में ही हो. हम चाहते हैं कि उनकी भागीदारी व्यवसाय क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हो जिससे वे उद्योगपति का दर्जा प्राप्त करके समाज व देश की सेवा करते रहें.
कुशवाहा प्रतिभा खोज परीक्षा का आयोजन :
हम लोग प्रत्येक साल कुशवाहा समाज से संबंध रखने वाले 50 प्रतिभागियों का चयन करेंगे जिन्हें संघ लोक सेवा आयोग व राज्य लोक सेवा आयोग की तैयारी न्यूनतम शुल्क पर कराई जाएगी. उन्हें पटना या दिल्ली में रहने का प्रबंध किया जाएगा साथ ही समूह से जुड़े बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों भी उन्हें समय-समय पर मार्गदर्शन देते रहेंगे. प्रयास किया जाएगा कि उसमें वैसे छात्रों की अधिक से अधिक हो भागीदारी हो जो गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करते हों. जो बिलकुल ही निर्धन होंगे उन्हें या शिक्षा निःशुल्क दी जाएगी.
     हम चाहते हैं कि इस तरह का प्रयास ग्रुप के सदस्यों के द्वारा ही किया जाए.शुरूआती दौर में ही यह कुछ कठिन लगेगा,परन्तु बाद में यह आसान हो जाएगा. काम इसीलिए भी बोझिल नहीं होगा क्योंकि संघ की स्थापना प्रत्येक पंचायत स्तर पर होगी. वह भी लोकतांत्रिक तरीके से. केन्द्रीय कार्यकारिणी का गठन भी होगा वह भी लोकतांत्रिक तरीके से ही,जहाँ न अध्यक्ष के पद स्थायी होंगे न सचिव,कोषाध्यक्ष के पद स्थायी. इस महान कदम को उठाने में अग्रणी भूमिका हम ही लोग निभाएँ. इसका पंजीकरण कराकर इसके कार्यकारिणी का गठन किया जाए एवं इसका एक न्यूनतम मासिक शुल्क प्रत्येक सदस्यों पर स्वेक्षा से लागू कर दिया जाए.  प्रत्येक सदस्य कम से कम 3 कुशवाहा सदस्य को समूह का सदस्य बनाए और  4 या 5 साल पर अध्यक्ष सचिव व कोषाध्यक्ष या जो भी पद निर्धारित किया गया हो, का चुनाव हो.
                                       मेरा मानना है कि यदि कुशवाहा समाज के लोगों में इस तरह की जागरूकता आ जाए और इस समाज के प्रत्येक सदस्य यदि भीख बराबर राशि भी कुशवाहा कोष में जमा करने लगे तो इस जाति की देश नहीं पूरी दुनिया में पहचान होगी,बस जारूरत है चंद लोगों के माध्यम से कदम उठाने की.

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