मेरे वाटिका का गेंदा........रक्त स्राव को बंद करने केलिए उपयोगी।

यह मेरे वाटिका का गेंदा है.इसे फुलाने का समय अभी नहीं है.दिसंबर मास में इसमे फुल लगेगा. पिछले साल जब गेंदा के पौधे काफी परिपक्वता की अवस्था में था तब इसके फूल बीज सहित पौधे से अलग होना चाह रहे थे और सारे पुष्प एक-एक कर डाली से अलग भी हो गए और गेंदा के पौधे भी सुख गए. उसी समय के झडे बीजों से ढेर सारे पौधे स्वतः ही फूलों की क्यारिओं में उग आए हैं.
                        प्रकृति प्रेमी होने के नाते ,इसकी हरियाली मेरे मन को काफी लुभा रहा है.यही वजह है कि मैं इसे अपने क्यारी से बिलकुल अलग नहीं करना चाहता हूँ.
                         इन पौधों में पुष्प नहीं लगे हैं,फिर भी यह काफी लाभप्रद है. साथ ही फूलावारिओं की शोभा बढाने में इसने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. अपने पूर्वजों तथा वर्तमान में जी रहे युवाओं के अनुभव के आधार पर मैं इसके कई महत्वों की चर्चा निम्लिखित आधार पर कर रहा हूँ.

       औषधि निर्माण में: 
पूर्व युवावस्था में प्राप्त अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि यह कटने-फटने के बाद यदि इसके पत्ते के रस को जख्म पर डाल दिया जाता था तो तुरंत ही रक्तस्राव बंद हो जाता था.पुराने लोग या गरीब लोगों के साथ अभी भी ऐसी कोई घटना घटती है तो गेंदा के पौधे उपलब्ध होने की स्थिति में निश्चित रूप से इस नुख्से को आजमाते हैं. हालाकि इसके लिए लोग भंगारिया के रस या दुभी के रस (एक प्रकार का घास) का भी उपयोग करते थे.

        गुलदस्ता बनाने में:
अतिथियों के सम्मान में इसके पत्तियों एवं कुछ फूलों के सहयोग से काफी आकर्षक गुलदस्ता भी बनाया जाता है.बुके तैयार करने में इसका उपयोग विशेष रूप से किया जाता है.

       विवाह मंडप को सजाने में:
आजकल गेंदा के फूल के अलावे उसके डंठल सहित पत्तियों एवं अन्य  वनस्पतियों के सहयोग से काफी आकर्षक विवाह मंडप तैयार किया जाता है.यहाँ तक कि बारात जाने के वक्त दुल्हे की गाड़ियों को भी इससे मस्त सजाया जाता है.
               तो ये थे हमारे समाज में बिखरित गेंदा के महत्व के विषय में चर्चा.ये सभी अपने परिवेश से प्राप्त अनुभव के आधार पर आपलोगों के बीच साझा किया हूँ. फिर अगले अध्याय में कोई नया अनुभव प्रस्तुत करूँगा.
                          धन्यवाद 










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